राजस्थान के प्रसिद्ध प्रमुख मेले |famous major fairs of rajasthan

 राजस्थान के प्रसिद्ध प्रमुख मेले 

Famous major fairs of rajasthan

===कैलादेवी का मेला 

कैलाग्राम (करौली )

चैत्र कृष्णा अष्टमी से चैत्र शुक्ला अष्टमी तक

कैला देवी

लांगुरिया गीत इस मेले का प्रमुख आकर्षक है

 ==कल्याणजी का डिग्गी मेला 

डिग्गी (टोंक)

कल्याण जी

यहाँ वर्ष मे तीन बार मेला लगता है श्रावण आमावस्या , वेशाखा पुर्णिमा और भाद्रपद शुक्ल एकादशी को

=== कपिल मुनि का मेला 

स्थान –  कोलायत (बीकानेर)

तिथि – कार्तिक पुर्णिमा

देवता/देवी – सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि

विशेष विवरण- कार्तिक पुर्णिमा पर यहाँ कपिल मुनि की पुजा की जाती है श्रध्दालु पवित्र सरोवर मे स्नान करते है । इस अवसर पर यहाँ पशु मेला भरता है

=== गोगाजी का मेला 

गोगामेढ़ी (हनुमानगढ़ )

भाद्रपद कृष्णा नवमी से एकादशी तक

गोगाजी

लोक देवता गोगाजी की याद मे पशु मेले का आयोजन किया जाता है

 == ददरेवा का मेला 

ददरेवा (चुरू)

भाद्रपद कृष्णा नवमी ( गोगा नवमी ) गोगा नवमी

गोगा जी

गोगाजी का दूसरा प्रमुख मेला उनके जन्म स्थान ददरेवा (चुरू) मे भरताहा

===  चंदभागा मेला 

झालरापाटन

कार्तिक पुर्णिमा

चंद्रावती नदी के किनारे पशु मेले का आयोजन किया जाता है

=== दशहरा  मेला 

कोटा

आश्विन शुल्क दशमी (विजयदशमी )

कोटा के दशहरा मेले की शुरुवात 1895 ई । मे महाराव उमेन्दसिंह  ने  की थी | वर्तमान मे यहाँ राष्ट्रीय स्तर का मेला लगता है |

== नागौर का मेला 

नागौर

माघ माह

राजस्थान पर्यटक विकास निगम दुवारा आयोजित यह पशु मेला राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है

=== पुष्कर का मेला 

पुष्कर (अजमेर )

कार्तिक पुर्णिमा

ब्रम्हा

== बेनेश्वर का मेला

डुंगरपुर

माघ पुर्णिमा

शिव

यह मेला माही , सोम और जाख़म नदियो मे त्रिवेणी संगम के समीप लगता है । इसे’ आदिवासियो का कुम्भ ‘ और ‘वागड़ का पुष्कर ‘ भी कहा जाता है ।

== तिलवाड़ा का मेला

तिलवाड़ा (बाड़मेर)

चैत्र कृष्णा एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक

मल्लिनाथ

इस पशु मेले में राठी , थारपाकर , कांकरेज , मालानी नस्लों की गायों की ब्रिक्री होती है ।

===परबतसर का मेला 

परबतसर (नागौर)

भद्रपद शुक्ल दशमी

तेजाजी

यह पशु मेला नागौरी बैलो की बिक्री के लिए प्रसिद्ध है |

===== राणीसती  का मेला 

झुंझनूं

राणीसती

रातभर चलने वाला गैर नृत्य मुख्य आकषर्ण होता है

=== केसरियानाथ जी का मेला 

घुलेव गाँव (उदयपुर)

चैत्र कृष्णा अष्टमी

तीर्थकर ऋषभदेव

ऋषभदेव को केसर का प्रसाद चढ़ाया जाता है , इसलिए इन्हे केसरिया नाथजी भी कहा जाता है ।

===अन्नकूट का मेला

नाथदुवरा (राजसमंद)

कार्तिक शुक्ल एकम

श्रीनाथजी

=== भर्तहरि का मेला 

अलवर

भाद्रपद शुक्ल सप्तमी और अष्टमी

बाबा भर्तहरि

कलबेलिया नृत्य इस मेले का प्रमुख आकर्षण है ।

==== करणीमाता का मेला 

स्थान – देशनोक (बीकानेर)

तिथि – चैत्र और आशिवन माह के नवरात्रो में

विशेष विवरण-  वर्ष मे दो बार मेला लगता है

=== महावीरजी का मेला 

चन्दन गाँव (करौली)

चैत्र शुक्ल त्रयोदशी से वैशाखी कृष्णा द्वितीय तक तीर्थकर महावीर स्वामी

वैशाखी कृष्णा प्रथमा को  महावीरजी की भव्य रथ यात्रा निकली जाती है । जैनों के अतिरिक्त मीणा और गुर्जर समाज के लोग भी इस मेले में प्रमुखता से भाग लेते है

=== जम्भेशवर का मेला 

मुकाम गाँव (बीकानेर)

जमभोजी

फाल्गुन कृष्ण अमावस्या और आश्विन कृष्णा अमावस्या को वर्ष मे दो बार मेला लगता है

==== सीतबाड़ी का मेला

सीतबाड़ी (बाराँ )

वैशाखी पुर्णिमा

‘हाड़ौती का कुम्भ ‘ सीतबाड़ी का मेला सहरिया जनजाति का सर्वप्रमुख मेला है , इसे ‘ सहरियाओ का कुम्भ ‘ भी कहा जाता है ।

=== शीतला माता का मेला 

शील की डूंगरी , चाकसू (जयपुर)

चैत्र कृष्णा अष्टमी

शीतला माता

==== गलियाकोट उर्स  

गलियाकोट (डुंगरपुर)

मोहर्रम माह की 27 तारीख

संत सैयद फखरूद्दीन

गलियाकोट दाऊदी बोहरा संप्रदाय का प्रसिद्ध केंद्र है

=== जीणमाता का मेला

रेवासा (सीकर)

चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों में

जीणमाता

==== गणेशजी का मेला 

रणथम्भौर

गणेश चतुर्थी

गणेशजी

गणेश चतुर्थी पर यहाँ विशाल मेला लगता है ।

====  व्रक्षमेला 

खेजडली (जोधपुर)

भाद्रपद शुक्ल दशमी

यह विश्व का एकमात्र व्रक्ष मेला है , जो चिपको आंदोलन या खेजडली आंदोलन की याद मे लगता है

=== चौथ का मेला 

बरवाड़ा (सवाई माधोपुर )

माघ कृष्णा चतुर्थी (तिल चौथ )

चौथ माता

इस दिन दूर – दूर से चौथ माता के दर्शन करने आते है

=== रामदेवजी का मेला 

रामदेवरा (जैसलमेर)

भाद्रपद शुक्ल द्वितीय से एकदिशी तक

रामदेव जी

यह मेला सांप्रदायिक सदभाव का प्रतीक है । मेले मे कामड जाति की स्त्रिया तेरहताली नृत्य प्रस्तुत करती है

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*