राजस्थान की महत्वपूर्ण प्राचीन सभ्यताएं
Important Ancient Civilizations of Rajasthan
1. गिलण्ड सभ्यता
जिला – राजसमंद
— बनास नदी के किनारे स्थित ताम्रयुगीन सभ्यता ।
2 . आहड सभ्यता
जिला – उदयपुर
खोज – श्री अक्षय कीर्ति व्यास ( 1953 )
उत्खनन – श्री आर.सी. अग्रवाल व एच.एम. सांकलिया ।
— आहड ( बेडच ) नदी के किनारे स्थित ताँबे की वस्तुएँ बनाने व काले – पीले मृदभाण्ड संस्कृति का प्रमुख केन्द्र
— उत्खनन में छ ; ताँबे की मुद्राएँ एवं तीन मुहरें प्राप्त हुई ।
— अन्य नाम – ताम्रवती नगरी , आघाटपुर ( आहाट दुर्ग ) , धूलकोट ( स्थानीय लोग ) छ : ताँबे की मुद्राएँ और मोहर प्राप्त हुई । एक मुद्रा पर एक ओर एक त्रिशूल और दूसरी ओर अपोलो अंकित है जिसके हाथ में तीर और पीछे तरकश है , मुख पर यूनानी भाषा में लेख अंकित है
— यहाँ के निवासी शवों को आभूषणों सहित गाड़ते थे ।
— डॉ . गोपीनाथ शर्मा के अनुसार इसका समृद्धिकाल 1900 ई.पू. से 1200 ई.पू. तक माना गया ।
— यहाँ ताँबा गलाने की भट्टी ‘ मिली है जिससे सिद्ध होता है कि यहाँ का प्रमुख उद्योग ताँबे गलाना व उपकरण बनाना था ।
3. गणेश्वर सभ्यता
जिला – नीम का थाना ( सीकर )
— उत्खनन – आर.सी . अग्रवाल एवं विजयकुमार के नेतृत्व में ( 1977-78 ई . )
— कान्तली नदी के किनारे स्थित ताम्रयुगीन सभ्यता ( 2800 ई.पू. )
— भारत में ताम्रयुगीन सभ्यता की जननी मानी जाती है ।
— ताँबे के उपकरण , बाढ़ से बचने के लिए पत्थर का जाँध , चित्रकारी से पुक्त बर्तन एवं मछली पकड़ने के काटे प्राप्त हुए हैं ।
— यहाँ से तांबे का निर्यात होता था
— इसकी खोज राजस्थान विश्वविद्यालय के पुरातत्त्व विभाग के सहयोग में की गई ।
— अन्य ताणयुगीन स्थल – पिण्ड पाइलिगा ( चितौड ) , झाड़ोला ( उदयपुर ) , कुराडा ( नागोर ) , सावणिया व पूगल ( बीकानेर ) , ऐलाना ( जालोर ) , बुला पुष्कर ( अजमेर ) कोल – माहोली ( सवाई माधोपुर ) किरडोल ( जयपुर ) |
4. कालीबंगा सभ्यता
जिला – हनुमानगढ़
खोज – श्री अमलानंद घोष ( 1952 )
उत्खनन – श्री बी.बी. लाल व बी.के. थापर
— प्राचीन सरस्वती ( वर्तमान घग्घर ) नदी के किनारे बसी राजस्थान की सबसे प्राचीन सभ्यता ।
— उत्खनन में छोटे टीले से पूर्व हडप्पाकालीन सभ्यता ( 2400 ई.पू. ) तथा दूसरे टीले से हडप्पाकालीन सभ्यता के अवशेष मिले ।
प्राप्त अवशेष — जुता हुआ खेत , एक ही साथ दो फसल उगाना , एक कब्रगाह एवं चौकोर व गोल हवन
कुण्ड ( अग्निकुण्ड ) के अवशेष प्राप्त हुए ।
— नगरीय सभ्यता ।
— कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ ‘ काली चूड़ियाँ ।
5. नोह सभ्यता
जिला – भरतपुर
— रूपारेल नदी के किनारे स्थित 3000 ई.पू. की तौहयुगीन सभ्यता ।
— अचित्रित मृदभाण्ड व कुषाणकालीन ईट प्राप्त हुई , जिस पर पक्षी का चित्र है
— कुषाणकालीन व मौर्यकालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं
6. रंगमहल सभ्यता
जिला – हनुमानगढ़
उत्खनन – डॉ . हन्नारिड के निर्देशन में स्वीडिश दल द्वारा ( 1952-54 )
— घग्घर नदी के किनारे स्थित 100 ई.पू. से 300 ई . तक पनपी कुषाणकालीन एवं पूर्व गुप्तकालीन सभ्यता के अवशेष ।
— उत्खनन में विशिष्ट मृणमूर्तियाँ ( गाँधार शैली ) , धण्टाकार , मृदपात्र , पंचमार्क व कनिष्क कालीन मुद्राएँ , टोंटीदार घड़े इत्यादि सामग्री प्राप्त हुई है ।
7. बागौर सभ्यता
जिला – भीलवाड़ा
उत्खनन – डॉ . वीरवनाथ मिण व डॉ . एल.एस. लैशनि के नेतृत्व में पूना विश्वविद्यालय एवं राज्य सरकार के पुरातत्व विभाग के सहयोग से ।
— कोठारी नदी के किनारे स्थित 3000 ई पू . की सभ्यता ( उत्तर पाषाणकालीन संस्कति ) के अवशेष ।
— यहाँ के निवासी युद्ध , शिकार व कृषि प्रेमी एवं मांसाहारी थे
— उत्खनन में बोतल के आकार के वर्तन एवं हाथ व कान के शीशे के गहने प्राप्त हुए हैं ।
8. बालाथल सभ्यता
जिला – वल्लभ नगर(उदयपुर)
उत्खनन -वी.एन. मिश्र के नेतृत्व में ( 1993 )
— यह सभ्यता 3000 ई.पू. से 2500 ई.पू. तक मौजूद थी तथा ताम्रयुगीन सभ्यता में बेहतर थी
— उत्खनन में एक बड़ा भवन , दुर्ग जैसी संरचना , साण्ड व कुत्ते की मूर्तियों के अवशेष तथा ताँबे के आभूषण ( कर्णफूल एवं लटकन ) मिले हैं ।
9. सुनारी सभ्यता
जिला – खेतड़ी (झुञ्झुनु )
— लोहयुगीन सभ्यता जहाँ से लौह अयस्क गलाने की भट्टी , लोहे के अस्त्र – शस्त्र व बर्तन प्राप्त हुए हैं ।
यहाँ के निवासी चावल व माँस खाते थे तथा घोड़ों का प्रयोग रथ खींचने में करते थे ।
10. बैराठ सभ्यता
जिला – जयपुर
उत्खनन – सर्वप्रथम दयाराम साहनी , पुनः नीलरतन बनर्जी
— बीजक की पहाड़ी , भीमजी की डूंगरी तथा महादेव की डूंगरी की खुदाई से पूर्व मौर्यकालीन व मौर्यकालीन सभ्यताओं के अवशेष मिले ।
— सूती कपड़े में बंधी 37 मुद्राएँ मिली है जिसमें से आठ पंचमार्क मुद्राएँ तथा शेष इण्डो ग्रीक व यूनानी शासकों की मुद्राएँ हैं ।
— यहाँ से अशोक कालीन बौद्ध मंदिर व स्तूप तथा बौद्ध मठ के अवशेष मिले हैं ।
— यहीं से अशोक का ‘ भाबू शिलालेख ‘ प्राप्त हुआ है । खेतड़ी ( झुंझुनू )
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