राजस्थान की मीणा जनजाति | Meena tribe of Rajasthan | Rajasthan ki meena janjati

राजस्थान की मीणा जनजाति :-

राजस्थान की जनजातियों मे मीणा जनजाति  का  प्रथम स्थान है 

Table of Contents

सवार्धिक मीणा जनजाति जयपुर मे है, 

मीणा जनजाति सवार्धिक सम्पन और शिक्षित जनजाति है |

मीणा जाति का नेता – पटेल कहलाता है।

गाँव का पटेल पंच पटेल कहलाता है।

मीणा जनजाति में संयुक्त परिवार प्रणाली पाई जाती है।

ये लोग मांसाहारी होते है।

विवाह – राक्षस विवाह, ब्रह्मा विवाह, गांधर्व विवाह होते है

 मीणा दो भागों में बंटे व  24 खांपो में बटे हुये है |

  (1) जमींदार या कृषक मीणा
  (2) चौकीदार अथवा शासक मीणा

मीणा जनजाति स्वंय की उत्पति मत्स्य भगवान से मानते है |

मीणा जनजाति का पवित्र ग्रंथ मीणा पुराण है जिसकी रचना मगन मुनी / मगर मुनी ने की थी |

पाली व सिरोही के आस – पास के भू  भाग को गोडवाडा कहा जाता है |

गोडवाडा के मीणाओ के प्रमुख लोक देवता भूरिया बाबा है |

मीणा जनजाति के लोग इनकी झूठी कसम नहीं खाते |

मीणा जनजाति का प्रिय पक्षी मोर है |

मोरनी मांडणा कार्यक्रम सवार्धिक मीणाओ में प्रचलित है |

मीणाओ के कच्चे घर को टापरा या छपरा कहते है |

तारा भांत व केरी भांत की ओठणी का सवार्धिक प्रचलन मीणाओ में है |

मीणा जनजाति की महिलाओ के गले का प्रमुख आभूषण खुंगाली व सीतारानी होता है |

महाराजा सवाई माधोसिंह तक जयपुर नगर की सुरक्षा के लिये कुल 27 चौकियां स्थापित की गई थीं और उन सभी चौकियों के माध्यम से नगर-सुरक्षा का दायित्व मीणा सरदारों को सौंपा गया था।

मीणा सुधार समिति कानून

 7 सितम्बर 1930 के दिन राजपूताना की अन्य रियासतों के साथ जयपुर रियासत में भी आपराधिक जनजाति की सूची में मीणा जनजाति को भी शामिल कर लिया गया। मीणा आदिवासियों को कुचलने का यह व्यवस्थित दौर शुरू होता है। इस कानून के प्रावधानों के तहत 12 वर्ष की आयु से अधिक के सभी मीणा किशोरों को संबंधित थाने में उपस्थिति देने के साथ इधर-उधर आने पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये गये थे। इस काले कानून का मीणा आदिवासियों ने जमकर प्रतिरोध किया जिसमें चौकीदारी प्रथा को तिलांजली देना भी शामिल था। कांग्रेस के प्रजामंडल के अन्य नेताओं ने भी इस कानून का विरोध किया। सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिये सन् 1928 में गठित मीणा सुधार समिति ने भी विरोध की इस लहर में अपनी प्रमुख भूमिका निभायी।

प्रतिरोध के इस आंदोलन में जो मीणा मुखिया प्रमुखता से शामिल हुए उनमें छोटूराम झारवाल, भूरामल झारवाल (चौकी सांगानेरी गेट), सुल्ताना राम बागड़ी (चौकी डोलों का बास), धन्नाजी पबड़ी (चौकी रेल्वे स्टेशन), महादेव नारायण पबड़ी, रघुनाथ व गोपीराम बागड़ी (चौकी पानों का दरीबा), रामकरण, रघुनाथ व गोपाल झारवाल (चौकी हीदा की मोरी), श्योनारायण मानतवाल (चौकी रामंगज), बीजाराम झारवाल (चौकी फूटाखुर्रा), गंगाबक्ष चिमनाराम नायला (चौकी जौहरी बाजार), रघुनाथ प्रताप मानतवाल (चौकी किशनपोल), श्योनारायण मानतवाल (चंद्रमा की चौकी, गणगौरी बाजार), कप्तान रघुनाथ बागड़ी (चौकी ब्रह्मपुरी) आदि थे। 

राजस्थान की जनजातिया  भाग  1

राजस्थान की जनजातिया  भाग  2

राजस्थान की जनजातिया  भाग 3

 राजस्थान की भील जनजाति

 

 

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