मानव शरीर का पाचन तंत्र | human digestive system

मानव शरीर का पाचन तंत्र 

Human Digestive System

पाचन तन्त्र :-

    आहार नाल (Alimentary canal )-

    मनुष्य के मुख द्वार से लेकर गुदाद्वार के मध्य तक एक लम्बी नाल पाई जाती है , जिसे आहार नाल कहते है
    आहार नाल में मुख गुहा , ग्रसनी , ग्रास नली , अमाशय छोटी आंत व बड़ी आंत नामक भाग होते है 

    मुख गुहा (Buccal Cavity)

     मानव का मुख एक दरार के समान होता है , जो दोनों जबड़ों के बीच में स्थित
    एक गुहा में खुलता है , जिसे मुख गुहा कहते है

    ग्रसनी – मुखगुहा के पीछे एक किप के आकर की गुहा होती है, जिसे ग्रसनी कहते है

    ग्रास नली (Gullet)– 

    रासनली (ईसॉफगस) लगभग 25 सेंटीमीटर लंबी  एक संकरी पेशीय नली होती है , जो ग्रसनी से प्रारम्भ होकर गर्दन में ट्रेकिया की प्रष्ठ से होते हुए अमाशय में खुलती है 
    है।

    अमाशय (Stomach )-

     यह डायपाम के नीचे एक लम्बे थेले के रूप में उदर गुहा के बाएँ पाश्र्व पर स्थित होता है

    छोटी आतं (small intestine)– 

    वह आतं हर्मोस का स्त्रवण करती है, तो पित्त , अग्याशयी तथा अंतर रस के स्त्रवण
    का नियन्त्रण करते हैं , छोटी आंत भोजन के पाचन में सहायता करती है तथा
    पचे हुए भोजन का अवशोषण करती है  छोटी आंत का व्यास लगभग 35 मिलीमीटर (1.5 इंच) और औसत लंबाई 6 से 7 मीटर (20-23 फुट) होती है।

    बड़ी आंत –

     यह श्लेष्म का स्त्रवण करती है यह भोजन से जल का अवशोषण एवं भोजन
    के बहिष्कार का कार्य भी करती है

    यक्र्त (Liver)- 

    मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है जो उदार गुहा के ऊपरी भाग में दी और स्थित
    होती है यह कबोर्हेदेर्ट वसा और प्रोटीन उपापचय में सक्रिय भाग लेता है और शरीर
    में उत्पन्न जीव विषों को प्रभावहीन इसकी रक्षा करता है ,

    अग्नाशय (Pancreatic )- 

    यह छोटी आतं के ‘U’ आकर वाले भाग में स्थित गुलाबी रंग की ग्रंथि होती है ,
    जो मिसेंदी नामक झिल्ली द्वारा सधी रहती है

    अग्नाशय की कोशिकाओं के बीच बीच में कुछ पीले रंग की कोशिकाएं समूहों के रूप में
    व्यवस्थित रहती है , जिन्हें ‘लेगर हेन्स ‘ के द्वीप कहते है लेगर लेंस के द्वीप ग्लुकेगान एवं
    इंसुलिन नामक हामोर्स का स्त्रवण करते है

    प्रित्ताशय (Gall Bladder )- 

    यह नाशपाती के आकर की थेली होती है जो यक्र्त नीचे स्थित होती है यक्र्त में जो
    पित्त बनता है , वह पित्त बनता है , वह पित्त नलिका के माध्यम से पक्वाशय में आ जाता है

    पित्त (Bile )

    वह पीले-हरे रंग का क्षरीय द्रव है , जिसका PH मन 7.7 होता है पित्त भोजन के साथ आये
    हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट के देता है पित्त आतं को क्रमाकुंवन गतियों को बढ़ता है ,
    जिससे भोजन में पाचन रस भली-भांति मिल जाते है

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